नाट्य मंचन

नाट्य और नृत्त, दृश्य काव्य के ये दो भेद हैं। नट-नटी द्वारा किसी अवस्थाविशेष की अनुकृति नाट्य है - 'नाट्यते अभिनयत्वेन रूप्यते- इति नाट्यम्'। ताल और लय की संगति से अनुबद्ध अनुकृत को नृत्त कहते हैं। ये दोनों ही अभिनय के विषय हैं और ललित कला के अंतर्गत माने जाते हैं।

रंगमंच वह जीवन है जहांँ इसको जीने वाले अपने एक जीवन में दूसरों के अनगिनत जीवन अनगिनत बार जीता है|

Comments

Popular posts from this blog

🎉GRANDPARENTS DAY CELEBRATION 🎉

हिंदी गतिविधि- संज्ञा कक्षा दूसरी